Wednesday, May 8, 2013

परवाज़

महताब को अब्र से ढक  कर  
हर शिहाब  को फूँक कर  
तीरगी की ओट ले  कर  
एक शब् दिल से उसे लगा कर 
देर तक ज़िन्दगी से मिला किये ...

कुर्बतों का बोझ उठाकर 
पयमानों से धोका खा कर 
रास्तों से नक्शे-पा मिटाकर 
तू चलती है क्या आस लेकर 
शमा अज़्म की रौशन किये… 

ज़माने के दस्तूर तोड़ कर 
अपनी कुछ शर्तें रख कर 
सारी गिरहें उधेड़ कर 
सभी हदों को किनारे कर 
एक दिन तो जी ले खुद के लिये… 

सब शिकवों को भुलाकर 
हर ज़ख्म को ढक  कर 
हर रंजिश को दफना कर 
डोर के सभी सिरे छोड़कर 
सजा ले दुनिया नयी अपने लिए ..

(परवाज़=flight, महताब=moonlight,  अब्र=cloud,  शिहाब = shining star, तीरगी=darkness, शब् =night,
कुर्बतों=relationships, पयमानों=promises,  नक्शे-पा=footprints, अज़्म-determination, दस्तूर=rules,  गिरहें=tangles)

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