ज़िन्दगी दो हिस्सों में बटी हुई सी है
दिन और रात के बीच कटी हुई सी है
कहते हैं मरासिम जिन्हें दुनिया वाले
सराब ही हैं बस दिल बहलाने वाले
कुछ अधूरे रिश्ते सुबह की आड़ में जागते हैं
घरों से मुखौटों के पैराहन ले निकलते हैं
एक नकली दुनिया के शहज़ादे बन फिरते हैं
रात को अपनी हकीकत में सिमट सो जाते हैं
कुछ और अधूरे रिश्ते रात के अंधेरों में भटकते हैं
जुगनू हैं पर खुद को फलक पर चमकते तारे कहते हैं
नींदों के भूले ख्वाबों से खानाबदोश होते हैं
सहर होने पर हकीकत से मुह चुरा छुप जाते हैं
इनके इस फरेब में हमने पड़ना छोड़ दिया है
अधूरेपन से पूरा होने का अरमान कब किया है
इन सारी गिरर्हों को एक उम्र पहले खोल दिया है
रिश्तों के कारोबार से खुद को आज़ाद किया है
कहते हैं मरासिम जिन्हें दुनिया वाले
सराब ही हैं बस दिल बहलाने वाले
कुछ अधूरे रिश्ते सुबह की आड़ में जागते हैं
घरों से मुखौटों के पैराहन ले निकलते हैं
एक नकली दुनिया के शहज़ादे बन फिरते हैं
रात को अपनी हकीकत में सिमट सो जाते हैं
कुछ और अधूरे रिश्ते रात के अंधेरों में भटकते हैं
जुगनू हैं पर खुद को फलक पर चमकते तारे कहते हैं
नींदों के भूले ख्वाबों से खानाबदोश होते हैं
सहर होने पर हकीकत से मुह चुरा छुप जाते हैं
इनके इस फरेब में हमने पड़ना छोड़ दिया है
अधूरेपन से पूरा होने का अरमान कब किया है
इन सारी गिरर्हों को एक उम्र पहले खोल दिया है
रिश्तों के कारोबार से खुद को आज़ाद किया है
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