Tuesday, January 24, 2012

I will be free

You think you know me
but its just a fleeting glimpse
you may try to capture me
but I am a woman
I will be free 
and that is the way it ought to be

You think you own me
but its just slipping sand
you may try to hold me
but i am a woman
I will be free
and that is the way it is meant to be

You think you can tame me
but its a deceptive stance
you may try to rein me
but i am a woman
I will be free
and that is how it will always be

You think you can woo me
but emotions lie deep within
you may try to bind me
but i am a woman
I will be free
and you should better let that be

You think you can hurt me
but its defeated by resilience
you may try to break me
but i am a woman
I will be free
and you have no choice but to let it be


Thursday, January 19, 2012

बदलती राहें

ज़िन्दगी के एक मोड़ पर
एक राह हमने चुनी थी
और भी कई राहें थीं
जो उस मोड़ पर छोड़ी थीं..
बड़े खुशनुमा नज़ारे थे,
रफीक भी कई हमारे थे,
हाथ बढ़ा कर तोड़ लें
बस इतनी ही दूर तारे थे..
फिर जाने कैसी हवा चली,
फिज़ा कुछ यूँ बदल गयी
हर नफ्ज़ जैसे घुट सी गयी
हर कदम पर ज़िन्दगी थम गयी..
ख़ामोशी में आवाज़ें गूंजती रहीं,
अजनबी आँखें कुछ इल्ज़ाम देती रहीं,
हौसला मुह छुपा जा बैठा कहीं,
किसी तमन्ना ने भी दस्तक दी नहीं..
हर दरीचे को खुद बंद कर,
रौशनी से किनारा कर,
हम भी कुछ यूँ मिट गए,
अंधेरों में बस सिमट गए...
पर आरज़ुओं की अपनी उम्र होती है,
वो हकीकत से बस बेफिक्र होती हैं,
एक दिन हमसे मुखातिब होकर,
आईने की धूल मिटाकर,
ऐसी ही एक ख्वाइश ने
कहा, तुम में ही रहती हूँ मैं
चलो इन गलियों को छोड़कर, 
फिर नए इस मोड़ पर,
एक नई राह चुनें
कुछ रंगीन सपने फिर बुनें...
देखो हर शब् के उस पार,
फैला है एक किरणों का हार,
सूरज की सीढ़ी पर आओ चढ़ें,
ज़ुल्मत की दीवार फांद लें...
तुम कैसे यूँ मुन्किर हो गए,
हौसले से क्यूँ फ़कीर हो गए,
शमा रोज़ जल के यूँ तो खाक़ होती है,
पर उसकी किस्मत फिर भी पाक होती है..
समेट कर ज़हन के उधडे पैराहन,
आज फिर से संभाला है अपना मन,
राहें आगे और भी कई हैं
जो आज यहाँ हमने छोड़ी हैं,
और ज़िन्दगी के इस मोड़ पर
सहमा हुआ एक कदम बढ़ाकर,
एक राह फिर चुनी है....













Tuesday, January 3, 2012

maqbool

तुम ना चाहो तो क्या हम बदल जायेंगे
मुहब्बत का अजल कब आदिल ही है

तुम हासिल हो भी जाओ तो कहाँ ले जायेंगे
अपनी ही गली से अरसों कहाँ गुज़रे ही हैं

हम तन्हा इन सिरात से गुज़र जायेंगे 
उम्रे चाहत हर पल मुसलसल अबद ही है 

उनको मिल कर लगा हम कुछ पिघल जायेंगे
गुज़रे मौसमों की खुश्की पर अब भी दिल में ही है

हमको मालूम है रंग सारे अफसुर्दा हो जायेंगे
थके हुए दिन को स्याह की गोद मकबूल ही हैं

वफ़ा जो ना की तो शायद बेगज़ल रह जायेंगे
लफ्जे हयात तो फुर्क़ते ग़म से मुख्तार ही है


(अजल = fate, आदिल = just, सिरात = roads, अबद = infinite,endless, अफसुर्दा = fade, मकबूल = acceptable,
हयात = life, फुरक़त = parting, seperation, मुख़्तार = free)