यूँ तो हर ख्याल उनसे कह देते हैं
पर कई रिस्ते ज़ख्म छुपा लेते हैं
वो हर कदम साथ चलते तो हैं,
कई राहें हम तन्हा पार कर लेते हैं
वो ख़ामोशी को लफ़्ज़ों से भर देते हैं,
कई शोर मगर हम दिल में दबा लेते हैं
यूँ तो सहरा को गुलज़ार कर देते हैं,
पर कई खार ज़हन में चुभो देते हैं
ये उम्र तो यूँ ही गुज़र होती रहती है
कई मोड़ पर रास्ते गुमराह करते हैं
फिर से खोने के नए मंज़र मिल जाते हैं,
कई रंग मगर पुरानी पहचान करा देते हैं
वो मेरी हर नज़्म की तारीफ़ कर देते हैं
पर कई सुखन हम अज़्म में जला लेते हैं